What does सिविल वाद in Hindi mean?

What is the meaning of the word सिविल वाद in Hindi? The article explains the full meaning, pronunciation along with bilingual examples and instructions on how to use सिविल वाद in Hindi.

The word सिविल वाद in Hindi means civil suit. To learn more, please see the details below.

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Meaning of the word सिविल वाद

civil suit

noun

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यह सिविल वादों की लगभग स्मरणातीत स्थिति की अभिव्यंजना करती है .
It has served to describe the almost immemorial condition of civil suits .
विधि सिविल वादों में दक्ष होती है जब निर्णय और उसके कार्यान्वयन के आदेश शीघ्र हो जाते हैं .
The law is efficient in civil suits when it enters judgement and issues execution as expeditiously as possible .
इन्हें 1793 के विनियम के अंतर्गत 50 रु . मूल्य तक के सिविल वादों का निर्णय करने की शक्ति थी ;
powered by a Regulation of 1793 to decide civil suits of the value not exceeding Rs 50 .
ऋआउन , न्यायालय प्रिऋया की अंग्रेजी विधि का अनुसरण करते थे और हिंदुओं या मुसलमानों के विऋद्ध लाए गए कतिपय श्रेणियों के सिविल वादों को छोडऋकर , अधिकांशतः अंग्रेजी विधि को लागू करते थे .
The Crown Courts followed the English law of procedure and also applied , for the most part , English law except in certain classes of civil suits instituted against Hindus or Mohamedans .
''हमने नोट कर लिया है कि यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने यूएस के एक न्यायालय में यह दृष्टिकोण अपनाया है कि पाकिस्तानी आई एस आई को 26 नवंबर 2010 के मुंबई आतंकी हमले पर सिविल वाद से असंक्राम्यता प्रदान की जाए।
"We have noted that the US Department of State has taken the position in a US Court that the Pakistani ISI be accorded immunity from the civil suit on the Mumbai terrorist attack of November 26, 2008.
1726 में सम्राट ने लेटर्स पेटेंट द्वारा इंग्लैंड के समान मद्रास , मुंबई और फोर्ट विलियम ( कलकात्ता ) में मेयर के न्यायालय स्थापित किए जिनमें से प्रत्येक में एक मेयर और नौ पौर - मुख्य होते थे जिन्हें विवादी पक्षों के बीच सभी सिविल वादों , कार्रवाइयों और अभिवचनों को सुनवाई करने की शक्ति प्राप्त थी .
In 1726 the Crown by Letters Patent established Mayor ' s courts on the English pattern at Madras , Bombay , and Fort William ( Calcutta ) , each consisting of a Mayor and nine Aldermen who had the power to hear all civil suits , actions and pleas between party and party .
1832 के बंगाल के एक विनियम में यह उपबंध किया गया कि यदि किसी सिविल वाद के पक्षों के धर्म अलग अलग हो तो उनके धर्म की विधि को उस पक्ष अथवा पक्षों को किसी संपत्ति से वंचित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी जिस संपत्ति के वे हकदार होते यदि वह विधि प्रचलन में न होती .
A Bengal Regulation of 1832 provided that in a civil suit the parties to which were of different religions , the laws of their religion shall not be permitted to operate to deprive such party or parties , of any property to which , but for the operation of such laws , they would have been entitled .
सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के अधीन वाद का विचारण करते समय अधिकरण के पास सिविल न्यायालय की शक्तियां होती है .
The Tribunal has the powers of a Civil Court while trying a suit under the Code of Civil Procedure 1908 .
सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 सिविल न्यायालयों की कार्रवाई का विनियमन एक अत्यंत विस्तृत अधिनियम द्वारा होता है जिसे सिविल प्रक्रिया संहिता कहते हैं , जिसमें भिन्न भिन्न धन संबंधी और राज्यक्षेत्रीय अधिकारिता वाले सिविल न्यायालयों में वाद संस्थित किए जाने के बारे में उपबंध हैं .
Civil Procedure Code 1908 The procedure in civil courts is governed by a very detailed statute called the Code of Civil Procedure , which provides for the institution of all suits in civil courts of different pecuniary and territorial jurisdiction .
जो मामले अब उक्त अधिकरण की अधिकारिता में हैं , उनके विषय में प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम 1985 ने सिविल न्यायालयों की वाद ग्रहण करने की और अनुच्छेद 226 ( या अनुच्छेद 227 ) के अधीन याचिका ग्रहण करने की उच्च न्यायालय की अधिकारिता समाप्त कर दी है .
The Administrative Tribunals Act 1985 takes away the jurisdiction of a civil court to entertain a suit and of the High Court to entertain a petition under Article 226 ( or Article 227 ) as regards matters which now come within the jurisdiction of the said tribunal .
विदेशी राज्यों और सरकारों के विरुद्ध वाद ( संप्रभु उन्मुक्ति के आधार पर छूट ) सिविल न्यायालयों को उन व्यक्तियों पर जो भारत के निवासी हैं और उन वादों पर जिनका विषय न्यायालय के अधीन है , अधिकारिता है .
Suits against Foreign States and Governments ( Exemption on the basis of Sovereign Immunity ) Civil Courts in India have jurisdiction on those persons who are residents of India and where the subject matter of the suit lies in the court .
विधि सिविल वादों में दक्ष होती है जब निर्णय और उसके कार्यान्वयन के आदेश शीघ्र हो जाते हैं।
The law is efficient in civil suits when it enters judgement and issues execution as expeditiously as possible.
ऐसी विधियां जो किसी सिविल वाद के प्रक्रियात्मक पहलुओं का अधिकथन करती है|
Laws that lay down the procedural aspects of any civil suit.
यह सिविल वादों की लगभग स्मरणातीत स्थिति की अभिव्यंजना करती है।
It has served to describe the almost immemorial condition of civil suits.
लंबित सिविल| वादों की कुल| संख्या
Total Number of Civil Suits pending
| दोवर्ग से अधिक समय से लंबित सिविल वादों की प्रतिशतता
% of Civil Suits pending for more than 2 years
विचाराधीनता की अवधि के आधार पर लंबित सिविल वादों की संख्या
Number of Civil Suits pending broken up on basis of length of pendency
विधि सिविल वादों में दक्ष होती है जब निर्णय और उसके कार्यान्वयन के आदेश शीघ्र हो जाते हैं.
The law is efficient in civil suits when it enters judgement and issues execution as expeditiously as possible.
वर्म 2012 की समाप्ति पर लंबित सिविल वादों की कुल संख्या
Total Number of Civil Suits pending at the end of 2012
इसमें न केवल सिविल वाद सम्मिलित हैं बल्कि आरंभिक पक्ष में प्रस्तुत की गईरिट याचिकाएं भी हैं|
This includes not only the civil suits, but also writ petitions preferred on the original side.
यह सिविल वादों की लगभग स्मरणातीत स्थिति की अभिव्यंजना करती है.
It has served to describe the almost immemorial condition of civil suits.
4.3 कुल मिलाकर, आरंभिक अधिकारिता वाले पांच उच्च न्यायालयों में 32,656 सिविल वाद लंबित हैं ।
Comparison of pendency of civil suits in 2003, 2008, and 2013 in High jurisdiction 2.4.3 By and large, in the five High Courts with original jurisdiction, there are 32,656 civil suits pending.
सिविल वादों की वाणिज्यिक विवादों से प्रतिशतता
% of Civil Suits that are Commercial Disputes
सिविल वादों की बाबत उच्च न्यायालयों से अभिप्राप्त आंकड़ों के अनुसार विचाराधीनता की स्थिति इस प्रकार है:
The pendency as per figures obtained from the High Courts with respect to civil suits is as follows:
लंबित सिविल| वादों की कुल| संख्या
Total Number of Civil Suits Pending

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